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  युगावतार भगवान श्री कल्कि  
  सम्भल: भगवान के निष्कलंक अवतार की जन्म भूमि  
  भगवान के अवतार का विधान और श्री कल्कि भक्ति  
  श्री कल्कि वाणी  
  श्री कल्कि सेना (निष्कलंक दल) - एक परिचय  
  श्री कल्कि नाम की क्रान्ति  
  प्राचीन श्री कल्कि विष्णु मन्दिर - सम्भल  
  श्री कल्कि जयन्ती महोत्सव - सम्भल  
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  कुलदीप कुमार गुप्ता राद्गटृीय अध्यक्ष श्री कल्कि सेना ; निद्गकलंक दल  
 
युवा शक्ति को धर्म रक्षक व राष्ट्र सेवक बनाने का श्री कल्कि सेना (निष्कलंक दल) का महाअभियान
     
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  -राष्ट्र के प्रत्येक युवा का वर्तमान परिस्थितियों में यह कर्तव्य है कि वह अपनी पुरातन संस्कृति से ओत-प्रोत अपनी मातृ भूमि के उत्थान के लिए कार्य करने वाली वीर संतान बने। राष्ट्र की सभी युवा भावनाओं को सम्बोधित करते हुए चिर युवा स्वामी विवेकानन्द ने कहा था- ‘‘हम सभी को इस समय कठिन श्रम करना होगा। हमारे कार्यों पर ही भारत का भविष्य निर्भर है। देखिए भारत माता धीरे-धीरे आँख खोल रही हैं। अब तुम्हारे निद्रा मग्न रहने का समय नहीं है। उठिए और माँ भगवती को जगाइए और पूर्व की तरह उन्हें महागौरव मण्डित करके भक्तिभाव से उन्हें अपने महिमामय सिंहासन पर प्रतिष्ठित कीजिए। ’’


          ‘‘इसके लिए सर्वप्रथम प्रत्येक युवा को पहले स्वयं मनुष्य बनना होगा, तब वह देखेंगे कि बाकी सब चीजें अपने आप ही स्वयं उनका अनुगमन करने लगेंगी। परस्पर के घृणित भाव को छोडि़ए। एक-दूसरे से विवाद तथा कलह का परित्याग कर दीजिए और सदुदेश्य, सदुपाय, सत्साहस एवं सद्वीर्य का आश्रय लीजिए। किन्तु भली-भाँति स्मरण रखिये यदि आप अध्यात्म को छोड़कर पाश्चात्य जाति की भौतिकता प्रधान सभ्यता के पीछे दौ़ड़ने लगेंगे तो फिर प्रगति के स्वप्न कभी भी पूरे न होंगे। ’’


          ‘‘एकमात्र भारत के पास ही वह ज्ञान लोक विद्यमान है जिसकी कार्य शक्ति न तो इन्द्र जाल में है और न छल-छद्म में ही। वह तो सच्चे धर्म के मर्मस्थल उच्चतम आध्यात्कि सत्य के महिमा मण्डित उपदेशों में प्रतिष्ठित है। जगत को इस तत्व की शिक्षा प्रदान करने के लिए ही प्रभु ने भारत एवं भारतीयता को विभिन्न दुःख, कष्टों के भीतर भी आज तक जीवित रखा है। आज उस वस्तु को स्वयं में चरितार्थ करने का और औरों को प्रदान करने का समय आ गया है। हे ! वीर हृदय भारत माँ की युवा सन्तानों, तुम यह विश्वास रखो कि अनेक महान कार्य करने के लिए ही तुम लोगों का जन्म हुआ है। किसी के भी धमकाने से न डरो, यहाँ तक कि आकाश से प्रबल वज्रपात हो तो भी न डरो। उठो, कमर कस कर खड़े हो जाओ और कार्यरत हो जाओ।’’


          अतः धर्म की रक्षा के लिए तथा राष्ट्र के हित के लिए हमारा भारत की युवा शक्ति से यह आह्वान है कि - श्री कल्कि नाम की क्रान्ति में अपना योगदान श्री कल्कि सेना (निष्कलंक दल) का सदस्य बन कर दें। इससे आप स्वयं को हर प्रकार से अर्थात् श्री हरि भगवान श्री कल्कि के आशीर्वाद से समृद्धशाली, शक्तिवान, राष्ट्रभक्त, धर्म रक्षक के रूप में पायेंगे। श्री कल्कि नाम में वह शक्ति है जो आपको कलियुग के प्रभाव से निकालकर श्री हरि के निकट तक ले जाती है। अतः माँ भगवती के आशीर्वाद से, भगवान शिव की अनुकम्पा से और भगवान विष्णु की इच्छा से इस सम्भल नगरी में श्री कल्कि सेना (निष्कलंक दल) का अभ्युदय हुआ और यह भी एक संयोग है कि इसी सम्भल नगरी में श्री कल्कि भगवान का अवतार होना है। अतः सब कुछ श्री हरि भगवान विष्णु की इच्छा अथवा प्रेरणा से हो रहा है।











 

          

 

          

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